बच्चेदानी का साइज कितना होना चाहिए | गर्भाशय का छोटा होना | बच्चेदानी छोटी हो तो क्या करना चाहिए

हेलो दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे इस नए ब्लॉग में तो आज हम फिर से लेकर आये है महिला के हेल्थ से रिलेटेड जानकारी तो आज के इस आर्टिकल में आपको बच्चेदानी का साइज कितना होना चाहिए , प्रेगनेंसी के लिए एग का साइज़ कितना होना चाहिए इस सब की जानकारी के साथ ही साथ बच्चेदानी छोटी हो तो क्या करना चाहिए आपको किस किस बात का ध्यान रखना जरुरी है आपको डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए इस के साथ आपको लगभग सारे सावल के जवाब जैसे की प्रेगनेंसी के लिए एग का साइज़ कितना होना चाहिए इस सब की जानकरी आपको यही पर मिलने वाली है तो आप ये आर्टिकल सुरु से अंत तक पढ़ लीजिये ।

बच्चेदानी का साइज कितना होना चाहिए : गर्भाशय का आकार क्या होता है

सब से पहले बच्चेदानी का साइज कितना होना चाहिए , यूटेरस नार्मल साइज क्या होता है इस सब की जानकारी आपको बता देते है तो सब से पहले ये बच्चेदानी  गुदा और मूत्राशय  के बीच में जो पेल्विस होता है उस में बच्चेदानी होती है । महिला का शरीर जितना जटिल होता है उस से जयदा जटिल बच्चेदानी होती है । क्यू की किसी भी महिला को प्रेगनेंट होने के लिए बच्चेदानी ये बहुत ही जरुरी हिस्सा होता है ।

आपको बता देते है की बच्चेदानी की साइज ये छोटा हुआ तो भी आपको प्रॉब्लम दे सकता है उसके साथ ही अगर  बच्चेदानी का साइज ये बहुत ही बढ़ा हुआ तो भी आगे प्रॉब्लम का सामना करना पद सकता है और उस ही कारन से प्रेगनेंसी जितनी आसान लगती है उतना आसान नहीं है ।

प्रेगनेंसी में करीब हर एक महीने में बच्चेदानी का साइज ये बदलता है जैसे जैसे बच्चा पे के अंदर ग्रो करने लग जाता है वैसे वैसे बच्चेदानी का साइज भी बढ़ जाता है । अगर हम स्पेसिफस होकर बात करे तो प्रेगनेंसी होने से पहले महिलाओं की गर्भाशय की लंबाई चौड़ाई ये 8 सेंटीमीटर और 5 सेंटीमीटर होती है।

यूट्रेस का साइज कितना होता है | गर्भाशय का छोटा होना

तो जैसे की हमने पहले ही ऊपर बता दिया है की नार्मलयूटेरस नार्मल साइज ये 8 सेंटीमीटर और 5 सेंटीमीटर होती है । और ये प्रेग्नेंट होने के बाद करीब 3 महीनो में आकार ये बढ़लने लग जाता है ।

आगे हम आपको प्रेगनेंसी में किस तरह से आकार बदलने लग जाता है वो देख लेते है 

पहली तिमाही में गर्भाशय का आकार कितना होता है

चलिए अभी हम देख लेते है की आखिर पहली तिमाही में गर्भाशय का आकार कितना होता है तो शरुआती के पहले  हफ्तों में बच्चेदानी का साइज ये इतना बदलता नहीं है । पर जैसे जैसे बच्चा ये बढ़ने लग जाता है उसके साथ गर्भाशय का आकार बढ़ जता है उसके साथ ही मूत्राशय पर दबाव आने लग जाता है उस ही कारन से महिला को बार बार पेशाब आने की प्रॉब्लम आ जाती है । अगर अगर पेट में जुड़वाँ बच्चा है तो ये प्रॉब्लम और भी जयदा बढ़ जाती है और इस ही बीच में यूट्रस ज्यादा तेजी से खिंचाव भी फील होने लग जाता है ।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में गर्भाशय का आकार कितना होता है

गर्भाशय का आकार ये सही मायनो में इन दिनों में पपीते के आकार ये बन जाता है इस कंडीशन में यूट्रेस ऊपर की ओर बढने लग जाता है उसके साथ में पेल्विक जो हिस्सा होता है वो बहार की तरफ ये ग्रो होने लग जाता है । इस ही बीच में आपको शरीर में दर्द और ऐंठन होने का फील होता है क्यू की इस समय में लिगामेंट और यूट्रेस के आस पास जो हिस्सा होता है उस पर एक्स्ट्रा दबाव आने लग जाता है जिस के कारन ये इफ़ेक्ट आपको फील होते है ।

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही | यूटेरस नार्मल साइज

तो अगर गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही की बात करे तो डिलेवरी के आखरी महीनो तक पेट का अकार ये तरबूज के जितना बड़ा होता है । इन दिनों में गर्भाशय का आकार ये सब से स्ट्रेच हुआ होता है । इस के चलते महिला को चलने में , अपना डेली का काम करने में थोड़ी बहुत प्रॉब्लम आ जाती है ।

डिलीवरी के बाद गर्भाशय का आकार कितना होता है  | बच्चेदानी छोटी हो तो क्या करना चाहिए

अभी महिला की डिलीवरी हो गए है तो अभी आपके दिमाग में ख्याल आया ही होगा की डिलीवरी के बाद गर्भाशय का आकार कितना होता है तो डिलीवरी होने के करीब  छह से आठ हफतों के बीच में गर्भाशय ये अपने पुराने आकार में आने लग जाता है । इसके लिए अलग अलग नुस्के भी होते है वो आपको डॉक्टर आपकी कंडीशन देख कर बता देंगे ।

गर्भाशय का काम सिर्फ बच्चे को जगह देना ही नहीं होता है बल्कि बच्चे को सही से पोषण मिलने के लिए जो प्लेसेंटा होता है वो यही गर्भाशय में निर्मित होता है और बच्चे के विकास  में भी ये कार्य करता है । जब बचे की डिलीवरी होती है उस समय नार्मल डिलीवरी में संकुचन प्रक्रिया जो होती है वो भी यही हिस्सा करता है । उसके आलावा प्रेगनेंसी कंसीव करने के लिए और पीरियड लाने का काम भी यही गर्भाशय करता है ।

शरीर के अलग अलग हिस्सों जैसे की योनि, मूत्राशय और गुदा जैसे अवयव को सपोर्ट करने का काम भी यही पार्ट करता है ।

यूट्रेस का नॉर्मल साइज क्‍या है

अभी हम देख लेते है की यूटेरस नार्मल साइज क्या है तो इसका कोई फिक्स जवाब नहीं है क्यू की ये हर के महिला की यूटेरस नार्मल साइज अलग अलग हो सकती है उस में आपकी उम्र कितनी है  हार्मोनल स्थिति के कारन ये इसका आकार , वजन ये निर्भर होता है , सब से पहले हम यूटेरस का नार्मल वजन देखते है तो 70 से 125 ग्रम तक आपको देखने को मिल जाता है ।

यूट्रेस के नार्मल साइज की बात करे तो प्‍यूबर्टी हिट होने से पहले 3.5 सेमी ये नार्मल साइज होती है और इसकी हम थिकनेस की बात करे तो ये 1.4 सेमी तक होती है । और एक बार प्‍यूबर्टी हिट होने के बाद यूट्रेस की लंबाई 5 और 8 सेमी होती है  और थिकनेस ये 1.5 और 3 सेमी तक होती है ।

अगर हम प्रेगनेंसी के नौवें महीने में यूट्रेस की नार्मल साइज की बात करे तो ये 38 सेमी तक लंबाई होती है उसके साथ ही चौडाई की बात करे तो 24 से 26 सेमी तक साइज होती है ।

बच्चेदानी छोटी हो तो क्या करना चाहिए

किसी किसी कारन से बच्चेदानी छोटी है तो उसको बढ़ा भी किया जा सकता है क्यू उसके लिए डॉक्टर आपकी सही से जांच कर लेते है और उसके बाद सही दवा देकर बच्चेदानी को बड़ा भी किया जा सकता है । अगर आपको कोई और बीमारी है तो उस से कुछ प्रॉब्लम आ सकती है तो उस कंडीशन में दवा काम करेगी या नहीं वो डॉक्टर की बता सकते है । पर नार्मल कंडीशन में 70 से 80 % लोगो की सिर्फ दवा लेने से प्रॉब्लम खतम हो जाती है ।

प्रेगनेंसी के लिए एग का साइज़ कितना होना चाहिए

अगर आपने डॉक्टर के पास जाकर अल्ट्रा साउंड किया है और उस में पता चलता है की अंडे का साइज ये बहुत ही छोटा है तो आप पहले से ही घबरा जाते हो और उसके कारन से ही आप प्रेगनेंसी कंसीव नहीं पा रहे हो और अंडे का इस्तेमाल भी नहीं हो पायेगा ऐसा आपको लगता है तो आपको डरने की बात नहीं है क्यू की आज कल इतना एडवांस तकनीक हो गए है जिस के कारन वही अंडे से प्रेगनेंसी हो सकती है उसके लिए कुछ मेडिसिन या फिर इंजेक्शन का इस्तेमाल कर सकते है ।

अगर आपके अंडे ये छोटे भी है तो भी आप तनाव मत लीजिये थोड़ी सी डॉक्टर की मदत से आप माँ बन सकते हो ।

तो ये थी बच्चेदानी का साइज कितना होना चाहिए , गर्भाशय का छोटा होना , बच्चेदानी छोटी हो तो क्या करना चाहिए इस के रिलेटेड सारी जानकारी तो आपको बता देते है इस आर्टिकल को पढ़ कर या फिर इंटनेट का और कोई भी आर्टिकल या फिर वीडियो देख कर आप खुद से कोई भी मेथड का इस्तेमाल ना करे । हमेशा डॉक्टर की उचित सलाह लेकर आप दवा या फिर नुस्के का इस्तेमाल कीजिये । 

Leave a Comment